Meri Matribhumi Mandir hai
मेरी मातृभूमी मंदिर है
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मेरी मातृभूमी मंदिर है ॥धृ॥
श्वेत हिमलय शृंग बना है
शिव का तांडव बल अपना है
भगवा-ध्वज यश गौरव वाला लहरता फर-फर है ॥१॥
वीर शिवा राणा से नायक
सूर और तुलसी से गायक
जिनकी वाणी कालजयी है जिनका यश चिर-स्थिर है ॥२॥
स्वाभिमान की बलिवेदी पर
सतियाँ लाख हुयी न्यौछावर
सन्तो ऋषियों मुनियों वाली भारत भूमि मिहिर है॥३॥
हमको जो ललकार रहा है
अपना काल पुकार रहा है
विश्व जानता है भारत का अपराजेय रुधिर है ॥४॥
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