प्रेम का प्रतिदान

रेगिस्तान में बबूल की कटीली झाड़ियां दूर दूर तक फैली हुई थी I बच्चे घर-आंगन में खेलते रहते तो भीरू दूर चारे की खोज में निकल पड़ता I बच्चों की मां कोमल-कोमल टहनियां तोड़कर बच्चों को खिलाती रहती I ऊंट जितना बड़ा था उतना ही छोटे जीव-जंतुओं से उसे बहुत स्नेह था I एक दिन जब वह चारे की खोज में दूर निकल गया तो उसे एक बड़ा बबूल का पेड़ दिखाई दिया I उसने सोचा अवश्य उस पर किसी जीव-जंतु का बसेरा होगा I जैसे ही वह उसके समीप गया तो देखा, पेड़ फूल-पत्तियों से भरा हुआ है I जब उसे कोई न दिखाई दिया तो उसने ज़ोर से पूरे पेड़ को हिलाया I पेड़ पर मधुमक्खियों का बहुत बड़ा छत्ता था I वे एकाएक आए भूचाल को देख कर कांप गईं I जब उसने ऊपर छत्ता देखा तो उसे बहुत दु:ख हुआ । उसने प्रेम से कहा-� मधुमक्खी बहन, नमस्ते I मैं देखना चाहता था कि इस पेड़ पर कौन से जीव रहते हैंI कम-से-कम हमें अपने आस-पड़ोस की जानकारी होनी चाहिए ताकि एक-दूसरे के सुख-दु:ख में काम आ सकें I��
`नमस्ते भैया, आप कितने महान हैं I यह आपने हम पर बहुत बड़ी कृपा की है कि हम नन्ही सी मधुमक्खियों से मिलने चले आए... हम धन्य हैं I` कहते ही मधुमक्खियों का झुंड निचली शाखा पर आकर गुनगुनाने लगा I
`अच्छा बहनों ! तो अब चलूँ I पास ही के गोवर्धन मंदिर के समीप मेरा घर है I देर हो गई है I मेरे बच्चे- नीमा व नीरु मेरी प्रतीक्षा करते होंगे I अच्छा, आप कभी आना I भगवान की वाटिका में कई कई प्रकार के फूल खिलते हैं- तुम्हें भी अच्छा लगेगा और हमें भी...I` कहकर भीरू ऊँट जाने लगा I
`तो ठहरो ना भैया, यह लो अपने नीरु व नीमा के लिए हम नन्ही-सी मधुमक्खियों का छोटा-सा उपहार तो लेकर जाओ I` कहकर मधुमक्खियों की रानी नीरा ने भीरू को शहद की सुन्दर-सी थैली थमा दी I भीरू मुंह में शहद की थैली लटकाए खुशी-खुशी घर लौट आया I
जब भीरू ने घर जाकर मधुमक्खियों की बात अपने परिवार को बताई तो वे खुशी से झूम उठे I दूसरे दिन मधुमक्खियों का पूरा समूह इनके घर आया I इन्होंने उन्हें मंदिर के प्रांगण में खिली पुष्प वाटिका दिखाई I उनका खूब आदर किया I अब वे अत्यंत गहरे मित्र बन गएI किसी भी दिन एक-दूसरे से मिले बिना नहीं रहते I
इधर जंगल के चापलूस जानवर उनकी बढ़ती मित्रता व प्रतिष्ठा से जलने लगे जिसमें सबसे प्रसिद्ध थे नीलू लोमड़ी और सफेद भालू I कई दिनों से एक शिकारी उस जंगल में शिकार करने आया करता था I एक दिन नीलू लोमड़ी ने शिकारी से कहा-
`शिकारी भैया, आप रोज बिना शिकार किए लौट जाते हो, मुझे बहुत बुरा लगता है I यदि मैं आपको हिरणों की बात बताऊं तो क्या आप मान जाओगे ?`
`बताओ, बहन ?` शिकारी ने हितैषी लोमड़ी की बात सुनते हुए कहा I
`देखो भैया, भीरू नामक एक ऊंट है, जो सभी जीव-जंतुओं का रक्षक है I यदि आप एक बार उसके परिवार की हत्या कर दो तो मैं तीन पीढ़ियों तक का शिकार आप को दिलवा दूँ । उसके बाद जीव-जंतुओं की सारी जानकारी केवल मुझे ही है I` नीलू लोमड़ी ने बहुत अपनापन जताते हुए कहा I
`यह करना तो मेरे लिए बाएं हाथ का खेल है I तो बताओ कब करूं ?` शिकारी ने कहाI
`कल से I विलंब करना तो मूर्खता होगी I` लोमड़ी ने यह कहकर समय व स्थान निर्धारित किया ।
उस रात बहुत भयंकर तूफान आया और मधुमक्खियों के छत्ते वाला पेड़ गिर गया I कई मधुमक्खियां मर गईं I भीरू ने अपने घर के पास उनका नया घर बसवा दिया I जैसे ही रात हुई तो भीरू के घर से बंदूक की गोलियों की आवाज सुनाई दी I मधुमक्खियों ने अचानक सुना तो भीरू के बच्चे की रोने की आवाज सुनाई दी I वे पूरे समूह के साथ भीरू के घर की ओर उड़ चलीं तो देखा शिकारी गोली का निशाना दाग रहा था व लोमड़ी निर्देश दे रही थी I उन्होंने आव देखा ना ताव, वे सभी शिकारी व लोमड़ी पर टूट पड़ीं और चंद मिनटों में उन्हें वहीं ढेर कर दिया I जब घर में गई तो भीरू का परिवार डर के मारे कांप रहा था I नीरा बहन ने कहा- `भैया, डरो नहीं, हमने उनका अंत कर दिया हैI` यह सुन कर भीरू की आंखें भर आईं I कुछ मधुमक्खियां जड़ी-बूटियों का रस ले आईं और बच्चों के घावों पर लगाने लगीं I भीरू और उसकी पत्नी नन्ही-नन्ही मधुमक्खियों के प्रेम व मित्रता को देख रुआंसे हो गद-गद हो रहे थे I
लेखक : डॉ दिनेश चमोला
स्वर : श्री सतेंद्र दहिया
सामग्री राजभाषा विभाग, गृह मंत्रालय, भारत सरकार के वैबसाइट से उपलब्ध कराई गई है।
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