नाग का उपकार

शिप्रा नदी के किनारे पर्यटक घूमने के लिए आते और वहां की सुंदरता पर रीझ कर कई-कई दिनों तक वही डेरा डाले रहते I अब कुछ दिनों से वहां प्रवासी पक्षियों के झुंड भी आने लगे थे जो सभी के लिए इतने लोकप्रिय हो गए तो पड़ोसी हेमंत प्रदेश के शिकारियों को इसकी खबर लगी I अब वे भी वहां दल बनाकर आने लगे I जब उन्होंने शिप्रा नदी के जीव-जंतुओं को देखा तो अपनी किस्मत को सराहा I बस फिर क्या था I वे अंधाधुंध जीव-जंतुओं को मार-मार कर हेमंत प्रदेश में व्यापार करने लगे I जो शिकारी आज तक भूखों मरते थे वे धनी और समृद्ध हो गए I लेकिन दूसरी ओर शिप्रा नदी का सौंदर्य दिन-प्रतिदिन उजड़ने लगा था I शिकारियों के डर से पक्षी उस जगह को छोड़ कर दूसरे जंगलों को उड़ चले I लेकिन हिरणों का समूह अभी भी शिप्रा के किनारे के हरे- भरे जंगलों में कुलांचें भरता रहता I
हेमंत प्रदेश के राजा कुमार सैन ने जब वहां के दुर्लभ हिरणों को देखा तो उसने पूरा का पूरा जंगल खरीद लिया I अब वहां केवल राजा का शिकारी ही शिकार करता I वह रोज कई-कई हिरणों को मार कर राजमहल में ले जाता I राजा उसे हर नए हिरण पर स्वर्ण मुद्राएं देता I
रीमा हिरणी का परिवार अपनी सुंदरता के लिए प्रसिद्ध था I एक दिन रीमा हिरणी-हिरण चारे की खोज में दूर देश गए हुए थे तो वे शिकारी के चंगुल में फंस गए I शिकारी ने उन्हें मार गिराया I यह बात सुन उनके दो बच्चे नीमा और नीरु बहुत दुखी हुए I वे उदास हो रोने लगे I दोनों शिप्रा के तट पर अपने माता-पिता की याद में रो रहे थे I उन्होंने झाड़ियों में से निकलते हुए एक बहुत बड़े अजगर को देखा I उन्होंने उसे प्रणाम कर कहा-
`प्रणाम नागराज! हम दोनों अनाथ हैं I हमारे माता-पिता को हेमंत प्रदेश के शिकारी ने मार गिराया है I हम बहुत दुखी हैं कि जैसे माता पिता के बिना हम रो रहे हैं वैसे ही यहां के सभी जीव-जंतु रोते रहेंगे�.नागराज ! क्या आप हमारी सहायता कर सकते हैं ?`
`मेरे नन्हे मित्रों ! वह कैसे?` नागराज ने फुकार कर कहा I
` हे नागराज ! या तो आप हमें भी मार दो अथवा इस जंगल के जीवों की रक्षा के लिए उस शिकारी को खत्म कर दो I सभी आपको दुआएं देंगे नागराज... शिप्रा नदी भी I`
` ठीक है, नन्हे मित्रों ! तुम्हारे परोपकारी विचारों की सहायता मैं अवश्य करूंगाI` नागराज ने यह कहा ही था कि कुछ दूरी पर वही शिकारी दिखाई दिया I जीव-जंतु भागने-दौड़ने लगेI अजगर ने उन्हें अपने पास की झाड़ी में छुपने के लिए कहा I यह सुन नीमा और नीरु पास में ही छुप गए I शिकारी घमंड से छाती फुलाता हुआ वहां शिकार करता-करता आ गया I जब वह फिर से हरिणशावकों पर निशाना साधने लगा तो अजगर ने पूरे जोर से डंक उसके माथे पर दे मारा I वह उसके जहरीले विष से वहीं पर गिर कर ढ़ेर हो गया I हरिणशावकों ने कहा- ` हे नाग देवता ! यह आपने शिप्रा नदी और यहां के जीव-जंतुओं पर बहुत बड़ा उपकार किया हैI`
`मित्रों! आगे भी कोई संकट हो तो निःसंकोच कहना !` नागराज ने कहा I
उन्होंने उसे प्रणाम किया और फिर से कुलांचें भरने लगे I उसके बाद वहां कोई शिकारी नहीं आया I शिप्रा का तट फिर से हरा-भरा हो गया I फिर वहां कई प्रकार के जीव-जंतु खुशी-खुशी विचरण करने लगेI
लेखक : डॉ दिनेश चमोला
स्वर : श्री सतेंद्र दहिया
सामग्री राजभाषा विभाग, गृह मंत्रालय, भारत सरकार के वैबसाइट से उपलब्ध कराई गई है।
0 Comments