चूहे जी का चमत्‍कार (Chuhe Ji Ka Chamtkar) by Dr. Dinesh Chamola

चूहे जी का चमत्‍कार

नील प्रदेश के जंगल में एक विषैला व बड़ा नाग रहता था । उसके भय से जंगल के सभी जीव-जंतु परेशान रहते थे । यदि मीलों दूर भी कोई जीव-जंतु दिखाई देता तो वह क्रोध से फुफकारने लग जाता । उस जंगल के छोटे जीव तो अलग, यहां तक कि शेर, चीते, हाथी, भालू जैसे बड़े-बड़े जानवर भी वहां जाने से कतराते थे । आस-पास के जंगल सब सूख गए थे । हरा-भरा जंगल था तो केवल नील प्रदेश का । वहां के हरे-भरे फूल व हरे-भरे चारे को देख कर सभी की लार टपकती थी । लेकिन वहां जाने का साहस किसी में नहीं था । सभी जीव-जन्‍तु भूख से बहुत दुखी थे ।

जब सभी छोटे-बड़े जीव भूख से व्‍याकुल होने लगे तो उन्‍होंने जंगल के जीवों की एक आपात बैठक बुलाई । सभी ने इस गंभीर समस्‍या पर गहराई से सोचा कि जब खाने का ही कुछ नहीं रहेगा तो कोई जीवित कैसे बच पाएगा । सभी ने अपने-अपने विचार रखे लेकिन किसी का भी विचार दमखम से पूर्ण नहीं था । किसी ने कहा कि हम सभी को मिलकर उसका सामना करना चाहिए । लेकिन तभी राजा शेरसिंह ने कहा, `वह कौन-सा हमारे सामने सीना ताने खड़ा रहता है । न जाने किस बिल में छुपकर वार कर दे । फिर उसका विष तो एक मील दूर तक फैलता है ।`

सभी ने अपनी-अपनी उम्र व अनुभव के हिसाब से विचार रखे । लेकिन किसी का भी विचार किसी के मन को नहीं रमा । सबसे अंत में एक बूढ़े संगीतकार चूहे ने अपनी नाक की ऐनक कुछ ठीक करते हुए कहा -

`मित्रो! आप सब जीव-जन्‍तु इतने बलवान व ताकतवर होते हुए भी एक सांप से डर रहे हैं । मुझे पहले बताया होता । तभी समाधान कर देता । जहां कोई शक्‍ति काम नहीं करती, वहां बुद्धि से काम लेना होता है । परसों सवेरे आप नील नदी के किनारे एकत्रित होना....फिर मैं आपको बुद्धि का चमत्‍कार दिखाऊंगा । अब पहले क्‍या शेखी बघारूं । आप सब परसों इस भय से मुक्‍त हो जाओगे ।` सभी ने तालियों से बूढ़े चूहे की ऐसी बातों का स्‍वागत किया और परसों के शुभ दिन की प्रतीक्षा करने लगे ।

आखिर वह दिन आ गया । उस दिन प्रात: चूहे ने सफेद धोती पहनी । माथे पर लम्‍बा बहुरंगी तिलक लगाया व हाथ में बीन लेकर उसी ओर चल दिया । सभी हैरान थे कि अवश्‍य चूहा आज उस विषैले सांप का ग्रास बनेगा । लेकिन उसने तो समा ही बांध दिया । उसने ऐसी वीणा बजाई कि विषैला नाग मस्‍त हो झूमने लगा । चूहेराज आगे-आगे व नाग पीछे-पीछे । सभी जीव-जन्‍तु उत्‍तेजना से देख रहे थे कि चूहा अब मरा, तब मरा ।

लेकिन कुछ देर में चूहा बीन बजाते-बजाते पास के खाली गहरे कुएं के समीप आ गया । उसने अपनी बीन कुएं के खाली हिस्‍से की ओर बजाई कि नाग ने जोर से अपना फन उस पर गिराया । लेकिन यह क्‍या, देखते-ही-देखते नाग उस गहरे खाली कुएं में गिर गया । सभी यह देखकर हैरान थे । चूहेराज ने सबको बुलाया व सभी ने ऊपर से कंकड़-पत्‍थर से उसे वहीं दबा दिया । जीवों ने चूहेराज को अपने कंधों पर उठा लिया । सभी जाव-जन्‍तु उसकी बुद्धि के चमत्‍कार की दाद देने लगे । सभी ने उसे प्रणाम किया । बाद में सभी ने मिल-जुलकर अपनी-अपनी पसन्‍द के फल-फूल व घास चरना शुरू कर दिया और निर्भय हो कर नील प्रदेश के जंगल में कुलांचें भरने लगे ।

लेखक : डॉ दिनेश चमोला
स्वर : श्री सतेंद्र दहिया
सामग्री राजभाषा विभाग, गृह मंत्रालय, भारत सरकार के वैबसाइट से उपलब्ध कराई गई है।

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