Bhaarat Punit Bharat Vishal
भारत पुनीत भारत विशाल
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भारत पुनीत भारत विशाल
उत्त्ार में हैं धवल हिमांचल निझर्र चंचल
गंगा का जल यमुना का जल
गौरी शंकर खरा धरा पर विश्व मुकुट धर
है चॅंवर डुलाती मेघमाल ।।धृ।।
दक्षिण में है भारत पदतल नील जलोत्पल
लंका का स्थल लंका का जल
शुध्द चरण तल हरता कलिमल निशिदिन पलपल
संसार झुकाता जिसे भाल ।।१।।
पूवर् दिशा में ब्रह्मा प्रांतर कानन सुंदर
प्रात: उठकर हॅंसे दिवाकर
मित्र बंधुवर खडे ध्दार पर
उनसे मिलकर भुज बंधन भर
युग युग से जग मे है निहाल ।।२।।
पश्चिम में है सिंधु सुमंगल स्निग्ध सिंधु जल
करता कल कल भरता छल छल
जहॉं दिवाकर आता थक कर
जाता पीकर जल अॅंजुलि भर
हो उठता आनन लाल लाल ।।३।।
मातृभूमि यह पितृभूमि यह
अमर भूमि यह समर भूमि यह
जिसका जन जन जिसका कण कण
जग को अपर्ण
दृढव्रती सदा से नौनिहाल ।।४।।
Bhaarat Punit Bharat Vishal |
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