Dipjyoti Pranam


Dipjyoti Pranam

दीपज्योति प्रणाम्

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दीपज्योति प्रणाम्
शुभंकरी तू जग कल्याणी
मातृशक्ति प्रेरक तू मानी
कोटि कोटि हृदयों मे अंकित
मंगलमय तव नाम ॥धृ॥

रामयण वाल्मीकि कृती तू
लव कुश जननी स्वयम् स्फूर्ति तू
दिव्या चरित सीता से ज्योतित
प्रकट हुए श्रीराम ॥१॥

ध्येय मार्ग के दीपस्थंभ तू
कोटि करों का स्नेहबंध तू
कण कण क्षण क्षण राष्ट्रसमर्पित
किये कर्म निष्काम ॥२॥

ज्योतिर्मय है मार्ग हमार
चंचल् मन क्यों भ्रम में हार
तव जीवन के स्मृत सुमनों में
प्रेरक शक्ति महान ॥३॥

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