सहायक शत्रु (Sahayak Shatru) by Dr. Priyanka Saraswat

सहायक शत्रु

एक समय की बात है, कुछ सारसों ने अंजीर के एक विशाल वृक्ष पर अपने घोंसले बनाएI उन्होंने अपने घोसलों में अंडे दिए और कुछ ही दिनों में उन अंडों में से छोटे-छोटे बच्चे निकल आए I इस प्रकार इस अंजीर के वृक्ष पर सारस कई पीढ़ियों से रहते आ रहे थे I

एक दिन अंजीर के उस वृक्ष के नीचे एक सांप आ पहुंचा I उपयुक्त वातावरण देख कर वह अंजीर के वृक्ष की जड़ों के बीच बने एक बिल में रहने लगा I एक दिन उसने पेड़ पर बैठे सारसों की आवाजें सुनी I वह धीरे-धीरे रेंग कर पेड़ के ऊपर चढ़ गया I उसने देखा कि पेड़ पर तो बहुत से पक्षियों ने घोंसले बना रखे हैं I उसने कुछ घोसलों के अंडों व उन पक्षियों के शिशुओं का आहार किया और नीचे उतर आया I अब जब भी उसे भूख लगती, वह वृक्ष पर चढ़ जाता और सारसों के अंडों व बच्चों को खाकर अपना पेट भर लेता I यह उसका प्रतिदिन का नियम बन गया I सांप की इस दुष्टता से सारसों के अंडों व बच्चों की संख्या बहुत कम हो गई I सारसों को समझ नहीं आ रहा था कि वे अपने घोसलों और बच्चों की रक्षा कैसे करें I एक दिन सभी सारस एकत्रित होकर बूढ़े सारस के पास अपनी समस्या लेकर गए जो नदी किनारे रहता था I उसने सारसों की समस्या ध्यान से सुनी और फिर बोला, `भाइयों, मैं एक नेवले को जानता हूं जो इस नदी के किनारे थोड़ी ही दूर पर रहता है I सांप और नेवले में प्राकृतिक शत्रुता होती हैI नेवले को सांप के बिल तक सरलता से पहुंचाने के लिए तुम्हें अनेक मछलियां पकड़नी होंगीI फिर उन मछलियों को नेवले के बिल से सांप के बिल तक थोड़ी-थोड़ी दूर पर बिछाना होगा I इस तरह अपने घर से मछलियां खाते-खाते नेवला सांप के बिल तक पहुंच जाएगा I दोनों में भयंकर युद्ध होगा और अंत में नेवला सांप को मार देगा और इस प्रकार तुम्हें सांप से हमेशा के लिए मुक्ति मिल जाएगी I `

सभी सारसों को बूढ़े सारस की युक्ति बहुत पसंद आई I योजना के अनुसार उन्होंने नदी में से ढ़ेर सारी मछलियां पकड़ी और नेवले के बिल से सांप के बिल तक थोड़ी-थोड़ी दूरी पर बिछा दी I जैसा कि अपेक्षित था मछलियों की गंध पाकर नेवला अपने बिल से बाहर निकला और मछलियों को खाते-खाते सांप के बिल तक पहुंच गया I आहट पाकर सांप भी अपने बिल से बाहर आ गया I दोनों की लड़ाई शुरु हो गई I तीखे पहाड़ों की वजह से दोनों के शरीर से खून निकलने लगा था I अंत में नेवले के हाथों सांप का अंत हो गया I

साँप को मरा देख सभी सारसों में प्रसन्नता की लहर दौड़ गई I सभी ने मिलकर इस खुशी का जश्न मनाया, परंतु उनकी इस प्रसन्नता की आयु बहुत छोटी थी I पेड़ पर सारसों की चहचहाने की आवाजें उस नेवले ने भी सुन ली I वह पेड़ पर चढ़ा और कई सारसों के अंडों को खा गयाI सारस यह भूल गए थे कि नेवला भी उनका प्राकृतिक शत्रु होता है I उसने सांप को तो मार दिया परंतु अब नेवला सारसों का नया शत्रु बन गया था और इस नई समस्या का तो उन्हें कोई हल भी नज़र नहीं आ रहा था I


लेखक : डॉ प्रियंका सारस्वत
स्वर : श्री सतेंद्र दहिया
सामग्री राजभाषा विभाग, गृह मंत्रालय, भारत सरकार के वैबसाइट से उपलब्ध कराई गई है।

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