Rani Fadakati Lakho Zende (Marathi)


Rani Fadakati Lakho Zende (Marathi)

रणी फडकती लाखो झेंडे

--------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

रणी फडकती लाखो झेंडे अरुणाचा अवतार महा
विजयश्रीला श्रिविष्णूपरी भगवा झेंडा एकचि हा ॥

शिवरायाच्या दृढ वज्राची सह्याद्रीच्या हृदयाचि
दर्या खवळे तिळभर न ढळे कणखर काठी झेंड्याची
तलवारीच्या धारेवरती पंचप्राणा नाचविता
पाश पटापट तुटती त्यांचा खेळे पट झेंड्यावरचा
लीलेने खंजीर खुपसता मोहक मायेच्या हृदयी
अखंड हृधिरांच्या धारांनी ध्वज सगळा भगवा होई
अधर्म लाथेने तुडवी
धर्माला गगनी चढवी
राम रणांगणी मग दावी ॥

कधी न केले निजमुख काळे पाठ दावुनी शत्रुला
कृष्णकारणी क्षणही न कधि धर्माचा हा ध्वज दिसला
चोच मारण्या परव्रणावर काकापरि नच फडफडला
परलक्ष्मीला पळवायाला पळभर पदर न हा पसरे
श्वासाश्वासा सह सत्याचे संचरती जगती वारे
गगनमंदिरी धाव करी
मलिन मृत्तिका लवण धरी
नगराजाचा गर्व हरी ॥
Rani Fadakati Lakho Zende (Marathi)
Rani Fadakati Lakho Zende (Marathi)

Post a Comment

0 Comments