Sadhana Ke Desh Mein
साधना के देश में ॥
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साधना के देश में मत नाम ले विश्राम का
दीप्त किरणें दे रहीं सन्देश आशामय सुहाना
स्नेह सुरभित पवन गाता जागरण का मधु तराना
सजल लहरों ने प्रगति की प्रेरणा के स्वर गुँजाए
दूर पंथी विहग ने भी पुलक कर पर फड़फड़ाए
अलस-तन्द्रा-निशा बीती प्रहर आया काम का
साधना के देश में ॥१॥
ध्येय की अनुपम छटा को अहर्निश मन में संजो तू
राह को लखकर विषमता ओ पथिक डरना नहीं तू
इस कटीली राह में ही विजयश्री की माल शोभन
वेदना नैराश्य के ये बीत जायेंगे करुण क्षण
कर्तव्य पथ पर तू बढ़ा चल कार्य यह भगवान का
साधना के देश में ॥२॥
Sadhana Ke Desh Mein |
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