Jay Matru Bhumi Jivan Bhara


Jay Matru Bhumi Jivan Bhara

जय मातृ-भूमि जीवन भर

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जय मातृ-भूमि जीवन भर
निशि दिन तेरा ही गुण गायें
फिर भी तेरा पार नहीं हम पायें॥ १ ॥

सबसे ऊँचा मस्तक तेरा चरणों में सागर का घेरा
दशों दिशाएँ सांझ सबेरे तुझको शीश झुकाएँ ॥ २ ॥

तूने दिया खेलता बचपन फिर अथाह बलशाली यौवन
शत - शत जीवन तेरी सेवा का हम अवसर पायें॥ ३ ॥

भौतिकता में जब जग मोहित तू थी दर्शन से आच्छादित
समय - समय पर ईशमुखों से तूने धर्म उपदेश कराये॥ ४ ॥

Jay Matru Bhumi Jivan Bhara
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