पहले विचारो फिर करो

एक दिन ब्राह्मण की पत्नी भोली नदी में स्नान करने जाते समय बच्चे की देखभाल करने के लिए अपने पति को सावधान कर गई । पत्नी के जाते ही ब्राह्मण को राजा के दरबार में जाने का निमंत्रण मिल गया । अब उस बेचारे मणीराम के सामने बहुत बडी समस्या उत्पन्न हुई। यदि वह बच्चे को अकेला छोड़ता है तो मुसीबत और यदि राजा का निमंत्रण स्वीकार नहीं करता तो फांसी ।
इसलिए उसने यही निर्णय किया कि वह अपने लड़के की रक्षा के लिए इस नेवले को ही छोड़ जाए क्योंकि अपने जीवन की रक्षा करना भी तो जरुरी है । यही सोचकर वह राजा के दरबार की ओर चला गया ।
ब्राह्मण जैसे ही उठ कर गया, एक सांप कहीं से आ कर बच्चे की ओर जाने लगा । नेवले ने उस सांप को देखते ही क्रोध में आकर उसके टुकड़े-टुकड़े कर दिए । नेवले ने तो सांप को मार डाला था किंतु उसका सारा शरीर खून से लथपथ हो गया था । उधर ब्राह्मण भी राज दरबार से दानपात्र लेकर आ गया था । उसने जैसे ही नेवले को खून से लथेड़ा देखा, उसे समझने में देर न लगी की नेवले ने उसके बच्चे को मार डाला है ।
बस क्रोध में भरे ब्राह्मण ने लठ उठा कर नेवले को मार दिया । वह बेचारा मर कर वहीं ढेर हो गया ।
नेवले को मारकर जैसे ही ब्राह्मण अंदर गया तो उसने देखा कि उसका बेटा तो गहरी नींद सो रहा है, हां, उसकी चारपाई के पास सांप के टुकड़े पड़े हैं । मणीराम सारी बात को समझ गया । उसे यह भी पता चल गया था कि उसने निर्दोष और वफादार नेवले की हत्या करके बहुत बड़ा पाप किया है । किंतु अब तो कुछ नहीं हो सकता था । वह बार-बार यही सोच रहा था, कि काश मैं पहले विचार कर लेता, तो यह पाप तो न होता ।
इस कहानी से यह शिक्षा मिलती है कि कोई भी काम करने से पूर्व हमें उस पर सोच-विचार करना चाहिए ।
लेखक : डॉ प्रियंका सारस्वत
स्वर : श्री सतेंद्र दहिया
सामग्री राजभाषा विभाग, गृह मंत्रालय, भारत सरकार के वैबसाइट से उपलब्ध कराई गई है।
0 Comments