Hey Rashtrahita Arapit Suman Tum
हे राष्ट्रहित अर्पित सुमन तुम
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हे राष्ट्रहित अर्पित सुमन तुम
लो पुनः अवतार लो पुनः अवतार ॥
अर्धमार्ग पर छोड गया रथि
किंतु अटल था चतुर सारथी
ध्येय मार्ग की बागडोर ले
किया स्वप्न साकार लो पुनः अवतार ॥
रामायण के स्वर को लेकर
स्वप्न सजाया राम राज्य का
जनकनंदिनि तेज तपस्विनि
हुई शक्ति साकार लो पुनः अवतार ॥
अमर त्याग की नीव बिछाकर
मार्ग दिखाया दिव्य मनोहर
चलकर हम सब उसी मार्ग पर
करे राष्ट्र उद्धार लो पुनः अवतार ॥
तेरी अनुपम तपः ज्योती को
करे प्रज्वलित दीप-दीप सम
रहे अबाधित ज्योती माल से
आलोकित संसार लो पुनः अवतार ॥
हे राष्ट्रहित अर्पित सुमन तुम
लो पुनः अवतार लो पुनः अवतार ॥
Hey Rashtrahita Arapit Suman Tum |
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