लालची नाई (Lalachi Naai) by Dr. Priyanka Saraswat

लालची नाई

बहुत पहले की बात है । एक गरीब ब्राह्मण था । वह भगवान शिव का परम भक्त था, पूजा करते समय वह भगवान शिव को कुछ-न-कुछ अर्पित जरूर करता था ।

भगवान शिव भी उसकी भक्ति से बहुत प्रसन्न थे । एक दिन वे ब्राह्मण के सम्मुख प्रकट हुए और बोले, `प्रिय ब्राह्मण, मैं तुम्हारी भक्ति से बहुत प्रसन्न हूं । तुम मुझसे जो भी चाहो, मांग सकते हो ।`

`भगवान ! आपने मुझे दर्शन दिए, मेरे लिए यही सब कुछ है । कृपया मुझे सुविधाजनक जीवन जीने तथा साधु-संतों व निर्धनों की सहायता करने योग्य उपयुक्त धन दीजिए ।` ब्राह्मण ने कहा ।

`ठीक है, मैं तुम्हें यह वरदान देता हूं । कल सुबह स्नान करने के पश्चात् तुम अपने सिर के बाल काट कर उन्हें अपने घर के पीछे की झाड़ियों में छिपा देना । उसके बाद जब तुम्हारे घर कोई भिखारी आए, तब तुम उसके सिर पर जोर से डंडा मार देना । वह भिखारी एक सोने की मूर्ति में परिवर्तित हो जाएगा और तुम्हें धनवान बनने के लिए सोना मिल जाएगा ।` ऐसा कह कर भगवान शिव वहां से अदृश्य हो गए ।

अगले दिन गरीब ब्राह्मण प्रात: काल जल्दी ही उठ गया । उसने स्नान किया और भगवान शिव की पूजा करने लगा । उसने एक नाई को बुलाया । नाई ने ब्राह्मण का मुंडन भी कर दिया । लेकिन नाई यह जानने के लिए बहुत उत्सुक था कि यह ब्राह्मण स्नान करके अचानक अपने सिर के बालों को क्यों कटवा रहा है । इसलिए नाई चुपचाप वहां से चला गया और घर के पास ही लगे एक पेड़ के पीछे छिपकर देखने लगा ।

थोड़ी देर के बाद गरीब ब्राह्मण ने एक डंडा उठाया और झाड़ियों के पीछे छिपा दिया । तभी वहां एक भिखारी आया । भिखारी के आते ही ब्राह्मण ने वह डंडा भिखारी के सिर पर दे मारा । डंडे के लगते ही वह भिखारी सोने की मूर्ति में परिवर्तित हो गया । ब्राह्मण उस मूर्ति को उठा कर ले गया ।

नाई यह सब कुछ देख रहा था । वह सोचने लगा, `लगता है, इस ब्राह्मण को कहीं से धनी बनने का रहस्य पता लग गया है और अब यह रहस्य मैं भी जान गया हूं । मैं भी ऐसा ही करुंगा ।`

यह सोचकर लालची नाई तुरंत अपने घर चला गया । घर जाकर सर्वप्रथम उसने अपने सिर के बालों को काटा, उन्हें घर के पीछे छिपाया और एक मजबूत डंडा लेकर किसी भिखारी के आने की प्रतीक्षा करने लगा । संयोगवश एक भिखारी उसके घर भी आया । उसने भिखारी के सिर पर तेजी से डंडा दे मारा । बेचारा भिखारी सिर पर चोट लगते ही लड़खड़ाकर जमीन पर गिर पड़ा और उसकी मृत्यु हो गई । यह देख वहां भीड़ इकट्ठी हो गई । सभी ने नाई को पकड़ लिया । उस पर हत्या का आरोप लग गया । राजा ने भिखारी की हत्या के जुर्म में उसे मृत्यु-दंड दे दिया । इस प्रकार लालची नाई का दु:खद अंत हुआ ।



इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमें कभी भी लालच नहीं करना चाहिए ।

लेखक : डॉ प्रियंका सारस्वत
स्वर : श्री सतेंद्र दहिया
सामग्री राजभाषा विभाग, गृह मंत्रालय, भारत सरकार के वैबसाइट से उपलब्ध कराई गई है।

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