Tuzach Jaijaikar Ghumavit (Marathi)


Tuzach Jaijaikar Ghumavit (Marathi)

तुझाच जयजयकार घुमवित

--------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

तुझाच जयजयकार घुमवित दुंदुभी तुतारिचा ललकार
हा विराट पुरुषा तुझाच जयजयकार॥ध्रु॥

कोटिकोटि तव स्फुल्लिंगातुन शिवशक्तीचा प्रत्यय येउनि
संस्कृतिचा गंगौघ निर्मुनी हा घडे समष्टीजीवन साक्षात्कार॥१॥

ध्वज भगवा सद्गुरू सनातन फडकत गगनी राही चिरंतन
केले ज्यांनी जीवन अर्पण हा उठे तयांचा भूमीतूनि पुकार॥२॥

छातिस भिडली छाती जेथे धूळ चारली शत्रूस इथे
भूमिरक्षणी पडले जेथे हा तेथुन उठला अंतरिचा हुंकार॥३॥

अंतःकरणी तेच प्रतिध्वनि तोच एक स्वर उठवू गगनी
हो सिद्ध या विजयदिनी हा रणचंडीचा रौद्ररूप अवतार॥४॥

Tuzach Jaijaikar Ghumavit (Marathi)
Tuzach Jaijaikar Ghumavit (Marathi)

Post a Comment

0 Comments