Uth Jag Bharat Jag Re
उठ जाग भारत जाग रे
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अमर रहे वैभव तेरा, मेरे वतन महान
करें हम अंतिम सांस तक तेरा ही यशगान, तेरा गौरव गान ।।
उठ जाग भारत जाग रे, आलस्य निद्रा त्याग रे
पुरुषार्थ का बीड़ा उठा, जागेगा तेरा भाग रे ।।
टुकड़ों में जो तू बँट रहा , उत्साह तेरा घट रहा
संघर्ष की बेला है ये, तू एकता का बिगुल बजा ।।
जन जन के तन मन प्राण में, अज्ञानियों के ध्यान में
नवयुग का तू सन्देश भर, इस व्यथित हिंदुस्तान में ।।
अब दूत बन तू क्रांति का, वरदान दे परशान्ति का ।
तू जग ह्रदय सम्राट बन, कर अंत विश्व अशांति का ।।
ऋषियों की है संतान तू, और शहीदों का अरमान तू ।
गौरव है राम और कृष्ण का, है भविष्य का भगवान तू ।।
अब छोड़ो राग ये जात का, पंजाब का गुजरात का
तू हिंद की संतान है, कर अंत काली रात का ।।
माँ भारती का ध्यान कर, तू शक्ति का आह्वान कर,
अब राष्ट्र के कल्याण हिता निज स्वार्थ का बलिदान कर ।।
Uth Jag Bharat Jag Re |
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