Guru Vandhya Mahan Bhagava (Marathi)


Guru Vandhya Mahan Bhagava (Marathi)

गुरु वंद्य महान भगवा

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गुरु वंद्य महान भगवा एकचि जीवन प्राण
अर्पण कोटी कोटी प्रणाम ॥ध्रु॥

शोणित वर्णामधुनी शिकलो सारे उज्ज्वल त्याग
व्यापित आलो दिव्य दृष्टिने अखंड भारतभाग
बघुनी फडफड देशभक्तिची भडके अंतरि आग
कटिबद्ध उभे तव छत्राखाली भारतभूसंतान ॥१॥

शौर्याने तव जगी गाजला स्फूर्तिप्रद इतिहास
पाहिलेस निज नेत्रांनी किति भीषण रणसंग्राम
देहदंड कुणी हाल भोगिले केले निज बलिदान
बलिदान नव्हे ते पूजन केले भारतभूसंतान ॥२॥

ऋषी तपस्वी महामुनींचा संतांचा अभिमान
अनादिकालापासुनीच तुज अग्रपुजेचा मान
बघशिल भावी भाग्यपूर्ण अन्‌ उज्ज्वल वैभवकाळ
हो यशस्वी असे सुमंगल दे शुभ वरदान ॥३॥

शुद्धशीलता चारित्र्याची पावित्र्याची खाण
अभय वीरता शौर्य धीरता संयम शांतिनिधान
सद्भावे तुज आम्ही मानिले पूज्य गुरु भगवान
परमपावना तव पदी वाही देशास्तव हे प्राण ॥४॥
Guru Vandhya Mahan Bhagava (Marathi)
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