Nav Chaitanya Hilore Leta
नवचैतन्य हिलोरे लेता जाग उठी है तरुणाई
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नवचैतन्य हिलोरे लेता जाग उठी है तरुणाई
हिंदुराष्ट्र निज दिव्य रूप मे उठा पुनः ले अंगडाई
जाग उठी है तरुणाई ॥धृ॥
मुठ्ठीभर आक्रांताओ ने अनगिन अत्याचार किये
आत्मशून्य दिगभ्रमित हमीने उन्हे कई उपहार दिये
विदेशियों की चाल न समझे लडे मरे भाई भाई ॥१॥
जाती भाषा वर्ग भिन्नता है कितने मिथ्या अभिमान
क्षेत्र-क्षेत्र के स्वार्थ उभारे ले अपनी-अपनी पहचान
राष्ट्रभाव का करे जागरण पाट चलेंगे सब खाई ॥२॥
विविध पंथ मत दर्शन अपने भेद नही वैशिष्ट्य हमारा
एक अभेद्य अखण्ड संस्कृती की बहती अमृत धारा
सत्य सनातन धर्म अधिष्टित शुभमंगल बेला आई ॥३॥
ध्येय समर्पित जीवन अपना भीष्म प्रतिज्ञा दोहराए
एक-एक को हृदय लगाकर विराट शक्ती प्रकटाए
माँ भारत की जगत्-प्रतिष्ठा यज्ञ पताका लहराई ॥४॥
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