Hindu Bhoomi Ka Kan Kan Ho
हिन्दु भूमि का कण कण हो अब शक्ति का अवतार उठे
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हिन्दु भूमि का कण कण हो अब शक्ति का अवतार उठे
जल थल से अम्बर से फिर हिन्दु का जय जय कार उठे
जग जननी का जय कार उठे
उच्च हिमालय से ले ध्रुदता सागर से गांभीर्य महान
माँ वसुधा से सहन शीलता गंगा से शुभ सर्गिक गान
देने को उत्साह अमित है सर्व श्रेष्ठ इतिहास पुराण
शुभ आशीश ले ईश्वर का अपनाए अनुपम वैदिक ग्यान
आराधे द्विज तेजो को कर दानव हाहाकार उठे
फिर मानवता साकार उठे जग जननी का जय कार उठे
जल थल से अम्बर से फिर हिन्दु का जय जय कार उठे...
कंस दशानन के शासन से जब दुनिया थर्राती थी
मानवता पर दानवता की श्याम घटा घहराती थी
राम कृष्ण की दिव्य किरण से माँ जग में सुख पाती थी
इसी लिये तो माता जग में वन्दनीय कहलाती थी
उस माता की गोदी से फिर वीरों की ललकार उठे
सोया अतीत हूंकार उठे जग जननी का जय कार उठे
जल थल से अम्बर से फिर हिन्दु का जय जय कार उठे...
अपमानित जीवन पाने का यह अवसर ही क्यों आया
पाप किये थे हम ने अपने कर्मों का ही फल पाया
अब आंखे खुल गयीं हमारी दूर भगा दें सब माया
आज जगत को दिखला दें हम अपनी परिवर्तित काया
कोटि कोटि हाथों वाली माँ का अद्भुत आकार उठे
लख विश नयन विस्फार उठे जग जननी का जय कार उठे
जल थल से अम्बर से फिर हिन्दु का जय जय कार उठे....
रोने से निराश होने से बन सकता कुछ काम नहीं
शांत चित्त से हंसते हंसते गाते जायें गान यही
माँ तेरे सत पुत्रों को अब बहकाना आसान नहीं
देह रहे न रहे पर माँ का सह सकते अपमान नहीं
हृतन्त्रीत के तार तार से गीत की झन्कार उठे
फिर गाण्डीव तंकार उठे जग जननी का जय कार उठे
जल थल से अम्बर से फिर हिन्दु का जय जय कार उठे ....
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