Bhaktibhave Shri Guruchi (Marathi)
भक्तिभावे श्री गुरुची
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भक्तिभावे श्री गुरुची, मी पूजा बांधियली
जीवनाची पुष्पकमले, या ध्वजाला वाहिली ॥ध्रु॥
मानवाचा धर्म माझा, हीच माझी प्रेरणा
संत-मुनि-ऋषि येथ वदले, विश्व एकच भावना
राष्ट्रभक्तीने उभी ही, संघशक्ती आपुली ॥१॥
ईश्वराचे कार्य माझे, मग मला भय कोणते
याच कामी देह येवो, जीवना साफल्य ते
तृप्त होइल अंतरात्मा, जर पुजा स्वीकारली ॥२॥
त्यागमय तू पथ प्रदर्शक, शांतिचा अन् क्रांतिचा
स्फूर्ति देसी तुच सकला, मार्ग दावी प्रीतिचा
प्रथम राष्ट्राच्या ध्वजाला, दक्षिणा अर्पीयली ॥३॥
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