Aaj Shraddha Suman Arpit


Aaj Shraddha Suman Arpit

आज श्रद्धा सुमन अर्पित कर

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आज श्रध्दा सुमन अर्पित कर रहा हर्षित गगन
हे परम आराध्य केशव युग पुरूष शत शत नमन ॥धृ॥

दासताँ की शृंखला से बध्द भारत भूमी प्यारी
लुप्त चिति धृती और कृति थी सुप्त थी संस्कृति हमारी
सुप्त हिंदू राष्ट्र को जागृत किया बन रवि किरण ॥१॥

संघटन का मंत्र अभिनव संघ सुरसरी को बहाकर
कोटी युवकों के हृदय में राष्ट्र भक्ती को जगाकर
कर दिया अर्पित स्वयम् को मातृ चरणों में मगन ॥२॥

आपका वह धन्य जीवन प्रेरणा है बन गयी
कोटी युवकों के लिये साधना है बन गयी
मातृभू पर हो समर्पित एक है बस यह रटन ॥३॥

हर नगर हर ग्राम में नव चेतना का दीप जलता
हर हृदय को कर प्रकाषित संघटन का राग भरता
हो रही साकार है वह कल्पना साक्षी गगन ॥४॥

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